Mahakumbh me shankracharya sath me : महाकुंभ क्षेत्र में किसी भी स्थान पर स्नान से मिलता है समान पुण्य, अखाड़ा परिषद ने समझाई महत्ता

Mahakumbh Stampede: महाकुंभ क्षेत्र में किसी भी स्थान पर स्नान से समान पुण्य मिलता है। शंकराचार्य समेत अखाड़ों ने श्रद्धालुओं के नाम अपील जारी की है। कहा कि अमृत योग में गंगा में डुबकी लगाना भी सर्वमंगलकारी है।संगम क्षेत्र में हादसे के बाद श्रीगोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती समेत अन्य सभी प्रमुख संत का कहना है कि मुहूर्त काल में कुंभनगरी में कहीं भी स्नान कर लेने से सर्वमंगलकारी फल मिलेगा। इसके लिए किसी विशेष क्षेत्र में स्नान की कोई आवश्यकता नहीं है। 

महाकुंभ स्नान के शुभमुहूर्त की बात सुनकर दूर-दराज से लोगों का प्रयागराज आने का क्रम जारी है। ऐसे में कुंभनगरी में श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ उमड़ पड़ी है। अधिकांश संगम के आसपास के घाटों में ही स्नान करना चाहते हैं। इस वजह से अच्छी खासी भीड़ यहां देखने को मिल रही है। 

श्रीगोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि गंगा में डुबकी लगाने से सर्वमंगलकारी फल मिलता है। त्रिवेणी में डुबकी लगाने का योग न हो तो भावना से फल मिल सकता है। यहां की जलवायु में त्रिवेणी का सन्निवेश है। यहां की हवा उसकी पवित्रता को लेकर बहती है। शंकराचार्य ने कहा कि कहीं भी स्नान करें, समान पुण्य फल मिलता है। 

‘जहां स्थान मिले, वहां स्नान करना चाहिए’
वहीं, अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद अध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम ने भी गंगा स्नान को पुण्यकारी बताया। उन्होंने कहा कि पंरपरा के मुताबिक, दंडी स्वामी अखाड़ों के साथ ही अमृत स्नान करते हैं। लेकिन, गंगा स्नान के महत्व को देखते हुए दंडी स्वामियों ने भी मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान किया। उनका भी कहना है कुंभ नगरी में जहां स्थान मिले, वहां स्नान करना चाहिए। इसका पुण्य लाभ सर्वमंगलकारी है। 

अखाड़ा परिषद ने समझाई महत्ता 
अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों ने भी गंगा स्नान की महत्ता बताई। अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी का कहना है कि महाकुंभ अपने आप में विशेष अवसर है। ऐसे में यह मायने नहीं रखता कि सिर्फ संगम में ही डुबकी लगाई जाए। कुंभ क्षेत्र में जहां भी निकट स्थान पर गंगा की धारा और घाट उपलब्ध हो, वहां स्नान करें। संपूर्ण कुंभ क्षेत्र में त्रिवेणी संगम स्नान के बराबर का पुण्य फल मिलता अपने आसपास के श्रद्धालुओं के साथ सहयोग और सद्भावना के साथ महाकुंभ की पुण्य भूमि पर स्नान करें। आसपास के घाटों पर अमृत स्नान करें। याद रखें कि हर घाट संगम है। संगम का वास्तविक अनुभव तभी हो सकता है, जब धैर्य, संयम और सुरक्षा के साथ सभी स्नान करें। -स्वामी चिदानंद सरस्वती, परमाध्यक्ष, परमार्थ निकेतन। 

अखाड़ो का अमृत स्नान बहुत शांतिपूर्ण तकरीके से समांपन्न हुआ

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