
हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई यूरेनस की छवि एक नीले रंग के गोले को दर्शाती है, जिसके चारों ओर धुंधले और मुश्किल से दिखाई देने वाले छल्ले हैं।
हालांकि अपने समय में यह एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन हबल की दृश्य तरंगदैर्ध्य (विज़िबल वेवलेंथ्स) पर निर्भरता ने इसे यूरेनस के ज्ञात 13 छल्लों और उनके ग्रह के वातावरण के साथ जटिल संबंधों को विस्तार से पकड़ने में सीमित कर दिया। उदाहरण के लिए, मायावी ज़ेटा रिंग हबल की टिप्पणियों में अस्पष्ट ही रही।
हबल ने यूरेनस की समझ को बढ़ाया, लेकिन ग्रह के छल्लों की प्रणाली और वायुमंडलीय परिवर्तनों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ अधूरी रह गईं।
अब प्रवेश करता है जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST), जिसकी अत्याधुनिक अवरक्त (इन्फ्रारेड) इमेजिंग ने यूरेनस के प्रति हमारी दृष्टि को बदल दिया है। JWST की हालिया टिप्पणियों ने अभूतपूर्व स्पष्टता के साथ यूरेनस के छल्लों को प्रकट किया, यहां तक कि पहली बार धुंधले ज़ेटा रिंग को भी स्पष्ट रूप से दिखाया।
JWST ने 1.4 से 4.6 माइक्रोन तक की विभिन्न अवरक्त तरंगदैर्ध्यों को कैप्चर करके न केवल छल्लों को उजागर किया, बल्कि यूरेनस की ध्रुवीय टोपी (पोलर कैप) का भी एक शानदार दृश्य प्रदान किया, जो 2028 में आने वाले उसके संक्रांति (सोल्सटाइस) के साथ अधिक प्रमुख हो रही है।

हमारा अंतरिक्ष ऐसा दिखता है जेम्स वेब टेलीस्कोप से –
यूरेनस के मौसमी परिवर्तनों और छल्लों की गतिशीलता पर ये नई जानकारियां बाहरी ग्रहों के अध्ययन में JWST की श्रेष्ठता को साबित करती हैं, जो हबल द्वारा कभी प्राप्त न किए जा सकने वाले विस्तार प्रदान करती हैं।
**जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST):
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया है। इसे 25 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया और यह अंतरिक्ष में तैनात सबसे उन्नत वेधशाला (ऑब्जर्वेटरी) है। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड के प्रारंभिक काल, आकाशगंगाओं, तारों, ग्रहों और बाह्य ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्स) का अध्ययन करना है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की विशेषताएँ:
- अत्याधुनिक इन्फ्रारेड इमेजिंग:
- JWST मुख्य रूप से इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य में काम करता है, जिससे यह दूरस्थ और धुंधले आकाशीय पिंडों को स्पष्ट रूप से देख सकता है।
- बड़ा दर्पण (मिरर):
- JWST का प्राथमिक दर्पण 6.5 मीटर चौड़ा है, जो हबल से लगभग तीन गुना बड़ा है, जिससे अधिक प्रकाश एकत्रित किया जा सकता है।
- लैग्रेंज बिंदु पर स्थित:
- इसे पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज बिंदु (L2) पर तैनात किया गया है, जहाँ से यह ब्रह्मांड का स्पष्ट अवलोकन कर सकता है।
- शीतलन प्रणाली:
- टेलीस्कोप को अत्यंत ठंडा रखने के लिए विशेष धातु और शीतलन तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे यह इन्फ्रारेड तरंगों को अधिक कुशलता से पकड़ पाता है।
- आधुनिक उपकरण:
- JWST में NIRCam (Near Infrared Camera), MIRI (Mid-Infrared Instrument), NIRSpec (Near Infrared Spectrograph) जैसे उपकरण लगे हैं, जो ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद करते हैं।
हबल स्पेस टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के बीच अंतर:
विशेषता | हबल स्पेस टेलीस्कोप (HST) | जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) |
लॉन्च वर्ष | 1990 | 2021 |
ऑप्टिकल क्षमता | दृश्य प्रकाश (विज़िबल) और पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) | मुख्य रूप से इन्फ्रारेड |
दर्पण का आकार | 2.4 मीटर | 6.5 मीटर |
तरंगदैर्ध्य रेंज | 0.1 से 2.5 माइक्रोन | 0.6 से 28 माइक्रोन |
परिक्रमा स्थान | पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) | लैग्रेंज बिंदु 2 (L2), पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर |
प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र | निकट आकाशगंगाएँ, तारों का जीवन चक्र | प्रारंभिक ब्रह्मांड, ग्रह निर्माण, एक्सोप्लैनेट्स |
कार्य अवधि | 30+ वर्ष | 10-20 वर्ष (अपेक्षित) |
JWST की प्रमुख खोजें और महत्व:
- प्रारंभिक ब्रह्मांड की खोज:
- यह प्रारंभिक आकाशगंगाओं और ब्रह्मांड में पहले बने सितारों का अध्ययन करने में सक्षम है।
- बाह्य ग्रहों (Exoplanets) का निरीक्षण:
- एक्सोप्लैनेट्स के वायुमंडल का विश्लेषण कर वहाँ जीवन की संभावनाओं की खोज।
- तारों और ग्रह प्रणालियों का निर्माण:
- नवगठित सितारों और उनके आसपास बनने वाली ग्रह प्रणालियों का अध्ययन।
- डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन:
- ब्रह्मांड के रहस्यमयी घटकों को समझने में सहायता।
निष्कर्ष:
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप एक क्रांतिकारी वैज्ञानिक उपलब्धि है, जो खगोलविदों को ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके रहस्यों को समझने में नई संभावनाएँ प्रदान करता है। हबल टेलीस्कोप ने हमारे ज्ञान में अभूतपूर्व योगदान दिया है, लेकिन JWST के साथ हम ब्रह्मांड की गहराइयों में झाँकने में सक्षम हो रहे हैं।