दिल्ली चुनाव: मनीष सिसोदिया के लिए कितनी मुश्किल है जंगपुरा की चुनावी जंग

आम आदमी पार्टी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है लेकिन एग्ज़िट पोल के आंकड़े इससे उलट हैं. हालांकि एग्ज़िट पोल के अनुमान हर बार सही साबित नहीं होते. लेकिन इस बार दिल्ली में एग्ज़िट पोल के नतीजे सही साबित हुए तो बीजेपी यहां लगभग 27 साल बाद सत्ता में वापसी कर लेगी.

अगर आम आदमी पार्टी हारती है तो ये पार्टी के लिए एक बड़ी हार साबित होगी. बीते एक दशक में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के साथ पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के साथ राष्ट्रीय पार्टी बनने की यात्रा पूरी की है.इस सफर के दौरान दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर कथित शराब घोटाले के आरोप लगे और कई नेताओं को जेल जाना पड़ा. इस घटना का असर पार्टी की रणनीति पर भी दिखी. आम तौर पर आक्रामक रहने वाली आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कई मौक़ों पर डिफ़ेंसिव मोड में दिखी.

मनीष सिसोदिया के लिए कितनी मुश्किल है जंगपुरा की चुनावी जंगएक तरफ़ यमुना का किनारा और दूसरी तरफ़ दरियागंज से शुरू होकर लाजपत नगर तक रिहायशी इलाक़ों की एक पतली पट्टी. ये दिल्ली विधानसभा की सीट संख्या 41 यानी जंगपुरा है.

साल 2013 में जब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई तो बीजेपी से आए मनिंदर सिंह धीर ने दो हज़ार से भी कम वोटों से कांग्रेस के तरविन्दर सिंह मारवाह से ये सीट आम आदमी पार्टी के लिए छीनी थी.

इसके बाद प्रवीण कुमार लगातार दो बार से यहां से आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधायक रहे और कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे मारवाह का वोट प्रतिशत यहां कम होता गया.

दक्षिण पूर्वी दिल्ली की ये सीट इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में नई दिल्ली विधानसभा सीट के बाद सबसे चर्चित सीट बनी हुई है. यहां ज़मीन पर कड़ा मुक़ाबला दिखाई दे रहा है.

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