प्रयागराज के महाकुंभ में इस वर्ष एक नई और ऐतिहासिक पहल के तहत “भगवान चित्रगुप्त अखाड़ा” का गठन किया गया। यह अखाड़ा भगवान चित्रगुप्त के आदर्शों—धर्म, न्याय और समानता—को समर्पित है। चित्रांश महासभा, देश के विभिन्न चित्रांश संगठनों और प्रमुख धर्मगुरुओं के सहयोग से इस अखाड़े की स्थापना की गई।

गौरतलब है कि अखाड़े का गठन चित्रगुप्त समाज महासंघ और श्री चित्रगुप्त मंदिर ट्रस्ट, प्रयागराज के संयुक्त प्रयासों से किया गया। इसके साथ ही प्रमुख संत समाज और महाकुंभ के साधु-संतों की सहमति से अखाड़े को मान्यता प्रदान की गई।
स्वामी सचिदानंद महाराज को भगवान चित्रगुप्त अखाड़ा का प्रथम महामंडलेश्वर घोषित किया गया। यह मान्यता उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख और प्रमुख संतों द्वारा दी गई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा, “चित्रगुप्त अखाड़ा समाज में न्याय और धर्म की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह हमारे धर्म को नई दिशा और शक्ति देगा।”
गठन समारोह के दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भगवान चित्रगुप्त की झांकी, मंत्रोच्चार और भक्तों के उत्साह ने पूरे वातावरण को धर्ममय कर दिया। देशभर से हजारों चित्रांश समाज के लोग और भक्त इस अवसर पर उपस्थित रहे।
यह अखाड़ा न केवल धार्मिक परंपराओं को सुदृढ़ करेगा बल्कि चित्रांश समाज को एकजुट करते हुए उनकी पहचान को विश्व स्तर पर मजबूत करेगा।
जय भगवान चित्रगुप्त। जय चित्रांश।