CHHAVA ke sath agr gaddhari nhi hoti to Aurangjeb marta ‘छावा’ मूवी समीक्षा: छत्रपति संभाजी महाराज के शौर्य का भव्य सिनेमाई चित्रण इतिहास का पुनरावलोकन और मराठा गौरव की अभिव्यक्ति

‘छावा’ मूवी समीक्षा: छत्रपति संभाजी महाराज के शौर्य का भव्य सिनेमाई चित्रण
इतिहास का पुनरावलोकन और मराठा गौरव की अभिव्यक्ति
भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज का उल्लेख व्यापक रूप से मिलता है, किंतु उनके पुत्र, छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता, उनकी सैन्य एवं प्रशासनिक रणनीतियों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है। लक्ष्मण उतेकर द्वारा निर्देशित ‘छावा’ इस ऐतिहासिक विस्मरण को जीवंत करता है और मराठा योद्धा की अप्रतिम वीरता का सिनेमाई दस्तावेज प्रस्तुत करता है। यह फिल्म उस योद्धा की गाथा कहती है, जिसने अपने पराक्रम, युद्ध-कौशल और अडिग संकल्प से लगभग एक दशक तक मुगल सम्राट औरंगजेब की विस्तारवादी नीतियों को चुनौती दी।

कथानक: एक संघर्ष गाथा
फिल्म की कहानी मराठी साहित्यकार शिवाजी सावंत के प्रसिद्ध उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित है, जो ऐतिहासिक तथ्यों और साहित्यिक कल्पना का उत्कृष्ट संयोजन है। कथा छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद की घटनाओं पर केंद्रित है, जब मुगल सम्राट औरंगजेब (अक्षय खन्ना) यह सोचता है कि अब दक्षिण भारत में उसका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं बचा। किंतु वह यह अनुमान लगाने में विफल रहता है कि शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी संभाजी (विक्की कौशल) ने मराठा स्वराज्य की रक्षा और विस्तार के लिए स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर दिया है। उनकी पत्नी येसुबाई (रश्मिका मंदाना) भी इस संघर्ष में उनका संबल बनती हैं।
संभाजी, अपने कुशल सेनापति हंबीराव मोहिते (आशुतोष राणा) और अदम्य साहस से भरे मराठा सैनिकों के साथ बुरहानपुर जैसे सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मुगल गढ़ पर आक्रमण करते हैं। यह विजय न केवल मराठा शक्ति के पुनर्जागरण का संकेत देती है, बल्कि मुगलिया सल्तनत की कमजोरी को भी उजागर करती है। इसके बाद, अगले नौ वर्षों तक मराठा वीरगण लगातार मुगल किलों पर आक्रमण कर औरंगजेब की सैन्य योजनाओं को विफल करते रहते हैं।
फिल्म केवल युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति, व्यक्तिगत संघर्ष, और सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं का भी समावेश है। यह दिखाया गया है कि कैसे सीमित संसाधनों में भी कुशल नेतृत्व द्वारा मराठा साम्राज्य की रक्षा की गई। साथ ही, मराठा सभ्यता की सांस्कृतिक विरासत, कूटनीतिक निपुणता और सैन्य रणनीतियों का सजीव चित्रण किया गया है।

कलाकारों का प्रदर्शन: अभिनय की पराकाष्ठा
• विक्की कौशल ने छत्रपति संभाजी महाराज के किरदार को अत्यंत गहराई और प्रभावशाली अंदाज में निभाया है। उनकी संवाद अदायगी, शारीरिक हावभाव और चरित्र की बारीकियों में डूबने की क्षमता फिल्म की आत्मा को जीवंत बनाती है।
• अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के किरदार को असाधारण तीव्रता और सूक्ष्मता के साथ चित्रित किया है। उनका हर दृश्य सत्ता और छल-प्रपंच के जटिल मनोविज्ञान को प्रतिबिंबित करता है।
• रश्मिका मंदाना येसुबाई के रूप में सशक्त और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली नजर आती हैं। उनका किरदार फिल्म को एक भावनात्मक गहराई प्रदान करता है।
• डायना पेंटी, जो औरंगजेब की बेटी के रूप में प्रस्तुत हैं, अपने किरदार को संजीदगी से निभाती हैं।
• आशुतोष राणा (हंबीराव मोहिते) अपने चरित्र के साथ पूरी तरह न्याय करते हैं। उनकी संवाद अदायगी और युद्ध के दृश्यों में उनका आत्मविश्वास फिल्म को और ऊँचाई प्रदान करता है।

निर्देशन और तकनीकी पक्ष: ऐतिहासिक भव्यता का पुनर्निर्माण
• लक्ष्मण उतेकर का निर्देशन ऐतिहासिक सटीकता और भावनात्मक गहराई का अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत करता है। युद्ध के दृश्य अत्यधिक भव्य और प्रभावशाली तरीके से फिल्माए गए हैं, जो दर्शकों को इतिहास के गर्भ में ले जाते हैं।
• सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है, जो युद्ध, महल और प्राकृतिक दृश्यों को भव्यता प्रदान करती है।
• पृष्ठभूमि संगीत दृश्यों की तीव्रता को और बढ़ाता है, विशेषकर युद्ध के समय इसका प्रभाव देखने योग्य है।
• संवाद लेखन सशक्त और प्रभावी है, जो पात्रों के व्यक्तित्व को मजबूती से उभारता है।
हालांकि, कुछ स्थानों पर कथा प्रवाह धीमा प्रतीत होता है, किंतु इसकी गहन ऐतिहासिक अंतर्वस्तु दर्शकों की रुचि बनाए रखने में सफल होती है।

संभावित सुधार बिंदु
• युद्ध दृश्यों को और अधिक विस्तृत किया जा सकता था ताकि संभाजी महाराज की सैन्य रणनीति की जटिलताओं को गहराई से समझाया जा सके।
• कुछ भावनात्मक दृश्यों को अधिक सशक्त बनाकर कथा को और प्रभावी बनाया जा सकता था।
• येसुबाई और संभाजी महाराज के बीच के पारिवारिक और राजनीतिक संवादों को अधिक गहराई दी जा सकती थी।

फिल्म देखने योग्य क्यों?
✅ इतिहास और मराठा संस्कृति के जिज्ञासु दर्शकों के लिए यह एक अविस्मरणीय सिनेमाई अनुभव है। ✅ विक्की कौशल और अक्षय खन्ना का असाधारण अभिनय। ✅ भव्य सिनेमेटोग्राफी और वास्तविकता के करीब युद्ध दृश्य। ✅ मराठा साम्राज्य के संघर्ष और स्वराज की महत्ता को समझने का सशक्त प्रयास। ✅ ऐतिहासिक तथ्यों और मनोरंजन का संतुलित संयोजन।

अंतिम मूल्यांकन: ⭐⭐⭐⭐½ (4.5/5)
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